विन्देश्वर ठाकुर
कविसबहक जमघट कु
समुहमे कविता वाचन करब
आ कि इमो-मेसेन्जर पर
ग्रुप कल कु कविता सुनाएब
अथवा बढका-बढका कार्यक्रममे
कवि-सम्मेलन नाम पु
कविताकें बौछार करब
मात्रटा कविगोष्ठी नै छै प्रिय
बुझलौं कि ?
अहाँ संग कविता बतियाएब
सपनामे अहाँ कविता बनि आएब
कविते संग दुनूगोटे नेहमे नहाएब
कवितेमे प्रेम भरल गीत गाएब
अहाँक मेसेज सँ प्रफुलित भऽ जाएब
अहाँक कल सँ कविता बहराएब
नैन सँ नैनमे कविता सुनाएब
हमरा लेल अहाँ कविता बनि जाएब
ई सबटा सेहो
कविगोष्ठीएक एकटा
स्वरुप छै जे
आयोजना करैत छी अपनासब
हृदयके मैदानमे
हर दिन हर क्षण।
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