
द सौर्य मिथिला समाचारदाता
छोड़िक जा रहल छी हम शहर रुकू न दू-चारि दिन।
खोजि रहल छी हम दोसर बाट रुकू न दू- चारि दिन।।
मेटा दैत छियै अपन इमान अपने हाथ सँ हम
लीलाम भऽ रहल छै ओ घर रुकू न दू-चारि दिन
सपने रहै ओ दुनियाँ आ सपने रहि जेतै सबदिन
निराश छी हम एखनो अहाँ रुकू न दू-चारि दिन
मृत्यु पर सेहो आब नै रहल विश्वास कनिको
नक्कली छल ओ जहर रुकू न दू चारि दिन
प्रियंका झा
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